Rajasthan Jobs Update : राजस्थान की भजनलाल सरकार ने राजस्थान के हजारों कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अधीन संविदा वाले 4966 पदों को नियमित मान लिया है।
राजस्थान में भजनलाल सरकार ने नरेगा में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। ग्रामीण विकास विभाग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अधीन संविदा वाले 4966 पदों को नियमित मान लिया है। संविदाकर्मियों को नियमित करने के 2022 के नियमों के अंतर्गत यह आदेश निकाला गया है।
अब तक ज्यादातर विभाग संविदा के पदों को इन नियमों के माध्यम से नियमित किया जा चुका है, लेकिन अब भी कई विभागों में इन नियमों की पालना नहीं हुई है।
अब तक ज्यादातर विभाग संविदा के पदों को इन नियमों के माध्यम से नियमित किया जा चुका है, लेकिन अब भी कई विभागों में इन नियमों की पालना नहीं हुई है।
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इनकी नियमितता के आदेश को ग्रामीण विकास उप सचिव प्रशासन बाबूलाल वर्मा ने जारी किए है। इसको लेकर नरेगा कार्मिक संघ अध्यक्ष दिनेश मीणा कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का आभार जताया है।
ग्रामीण विकास विभाग के इन पदों पर मनरेगा में संविदा पर 9 साल कार्य करने के अनुभवी कर्मचारियों को 2022 के नियमों के अंतर्गत नियमित किया जाएगा।
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ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार कनिष्ठ तकनीकी सहायक के 1698, ग्राम रोजगार सहायक के 1548, डाटा एंट्री सहायक के 699, लेखा सहायक के 622, एमआईएस मैनेजर के 159, सहायक के 150, समन्वयक के 96 तथा प्रोग्रामिंग एवं एनालिसिस विशेषज्ञ व प्रोग्रामिंग विशेषज्ञ के एक-एक पद शामिल किए गए हैं।
ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार कनिष्ठ तकनीकी सहायक के 1698, ग्राम रोजगार सहायक के 1548, डाटा एंट्री सहायक के 699, लेखा सहायक के 622, एमआईएस मैनेजर के 159, सहायक के 150, समन्वयक के 96 तथा प्रोग्रामिंग एवं एनालिसिस विशेषज्ञ व प्रोग्रामिंग विशेषज्ञ के एक-एक पद शामिल किए गए हैं।
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केंद्र सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी की शुरुआत की थी। जिसका 2 अक्टूबर 2009 को नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया।
इस अधिनियम के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवार के व्यस्क सदस्यों (उनमे महिलाएं भी शामिल हैं) को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है।
केंद्र सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी की शुरुआत की थी। जिसका 2 अक्टूबर 2009 को नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया।
इस अधिनियम के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवार के व्यस्क सदस्यों (उनमे महिलाएं भी शामिल हैं) को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है।
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